बच्चा और स्कूटर पर चिड़िया का पीछा
एक सुहावनी सुबह थी, सूरज की पहली किरणें आसमान में फैलने लगी थीं। छोटे से गाँव में बच्चे अपने-अपने खेलों में मग्न थे। उनमें से एक था ध्रुव, जो अपने नए स्कूटर पर घूमने का आनंद ले रहा था। ध्रुव का स्कूटर चमकीले नीले रंग का था, और उसे ऐसा लगता था जैसे वह आसमान में उड़ रहा हो। उसे स्कूटर चलाना बहुत पसंद था, और आज वह गाँव के पास के पार्क में जा रहा था।
जैसे ही ध्रुव पार्क में पहुँचा, उसने देखा कि वहाँ कई बच्चे खेल रहे थे। उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। उसने तुरंत अपने स्कूटर को एक तरफ रखा और बच्चों के साथ खेलने लगा। बच्चे गेंद से क्रिकेट खेल रहे थे और ध्रुव भी उसमें शामिल हो गया। खेलते-खेलते अचानक उसकी नजर एक सुंदर चिड़िया पर पड़ी। चिड़िया नीले और पीले रंग की थी, जो पेड़ की एक शाखा पर बैठी थी। ध्रुव ने सोचा, कितनी खूबसूरत चिड़िया है।
चिड़िया भी उसकी मस्ती को समझ चुकी थी। वह कभी एक पेड़ के पास उड़ती, कभी दूसरी तरफ, जैसे वह ध्रुव के साथ खेल रही हो। ध्रुव ने उसे पकड़ने के लिए पूरी कोशिश की, लेकिन चिड़िया हमेशा एक कदम आगे थी। धीरे-धीरे ध्रुव और चिड़िया का यह खेल गाँव के अन्य बच्चों का ध्यान भी अपनी ओर खींचने लगा। सभी बच्चे चिल्ला रहे थे और ध्रुव का हौंसला बढ़ा रहे थे।
ध्रुव की आँखों में चिड़िया की सुंदरता और उसकी चपलता के प्रति एक अलग सी चिंगारी थी। वह जितना तेज़ चलता, चिड़िया उतनी ही चतुराई से उड़ती। यह खेल ध्रुव के लिए एक नई युवा रोमांचक अनुभूति बन गया था। लेकिन चिड़िया के साथ दौड़ते-दौड़ते ध्रुव ने अचानक महसूस किया कि वह पार्क के एक कोने में पहुँच गया है, जो उसके लिए नया था।
अब चिड़िया ने एक पेड़ के ऊपर बैठने का फैसला किया, और ध्रुव उसके पास पहुँच गया। उसने सोचा, क्या मैं उसे करीब से देख सकता हूँ? उसने अपना स्कूटर एक तरफ रखा और धीरे-धीरे चिड़िया के पास गया। चिड़िया ने उसे देखकर डर नहीं महसूस किया, बल्कि उसने ध्रुव को अपनी आँखों से देखा, जैसे वह उसकी मासूमियत को समझ रही हो।
ध्रुव ने चिड़िया को कुछ देर गौर से देखा और उसके रंग, उसके पंखों की चमक, और उसकी आवाज़ को सुना। उसे एहसास हुआ कि असली मजा पीछा करने में नहीं, बल्कि उस खूबसूरत पल को देखने में है। चिड़िया अचानक उड़ गई, और ध्रुव ने भी समझा कि कभी-कभी हमें चीज़ों को केवल देखने और आनंद लेने की जरूरत होती है।
ध्रुव ने फिर से अपने स्कूटर को उठाया और वापस पार्क की तरफ दौड़ पड़ा। अब उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी, जो उसके दिल की गहराइयों से उठी थी। उसने अपने दोस्तों से कहा, क्या तुमने देखा, वह कितनी खूबसूरत थी! बच्चे उसके साथ हँसी-खुशी में शामिल हो गए, और इस तरह ध्रुव ने एक अद्भुत अनुभव को अपने दिल में संजो लिया।
इस दिन ने ध्रुव को सिखाया कि ज़िन्दगी में कभी-कभी हमें बस दौड़ने की जगह, रुककर आनंद लेना चाहिए। स्कूटर पर चिड़िया का पीछा करने का अनुभव उसके जीवन का एक अनमोल हिस्सा बन गया।
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